बुधवार, 15 अगस्त 2007

अभी संभावना है ...


प्रिय मित्रों !
गजलों एवं गीतों का यह संग्रह मेरी दूसरी प्रकाशित कृति है । इस पुस्तक का भी प्रकाशन "अयन प्रकाशन ' १/२० मेहरौली नई दिल्ली ११००३० " ने किया हे । मूल्य रु १२५/-।

हिंदी में गजल को नया आयाम मिला है । अब ग़ज़ल हुस्न -ओ -इश्क ,सागरों-ओ-मीना ,साकी -मयखाना ,बुलबुल-ओ-सैयाद,गुलो-गुलशन से निकल कर बहुत दूर तक आ गई है । अब तो ग़ज़ल आज की राजनेतिक विसंगतियों पर ,सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करती नजर आती है ,बेबाक राय देती है । आम आदमी को जगाती है ,जगाने को बाध्य करती है ।

सूली पर टंगा हुआ आदमी ,सर पर 'संविधान ' उठाए चौराहे पर खडा
'बुधना' ,फुटपाथ से फुटपाथ तक सारी जिन्दगी का सफ़र तय करता हुआ
'मंगरू' .बिन व्याही बेटी के बापू की गिरवी रखी हुई पगडी ,कोठी में मिलती 'छमिया' की लाश और 'हरिया ' को होती सजा ,सडको पर उतरती भीड़ को गोलिओं से समझाने की भाषा ,नागफनी से चुभते लोग ,पैसों से खरीदते बाहुबली कायदे कानून की धज्जियाँ उडाते राजनेताओं का बेदाग साफ बच निकलना क्या एक लंगडी व अपाहिज व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न नही लगाते ?क्या हम तटस्थ रह कर और मात्र मूक-दर्शक बन कर इस प्रदूषण में पाप के भागी नहीं बन रहे हैं ।


सच है । यह सब हम -आप को पता है परन्तु अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है .अभी संभावना है .काफी संभावना है .आवश्यकता है तो एक समर्थ प्रयास की .एक ईमानदार कोशिश की ॥
इस संग्रह में ६६ गज़ल एवं २१ गीतों का संकलन है

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