बुधवार, 17 अप्रैल 2024

दोहे 19 : सामान्य

दोहे 19

'जग ही सच"- माना किया कितना मै अनजान
वह तो थीं परछाइयाँ , हुआ बाद में ज्ञान ।

एक गया दूजा रहा, दोनों गए न साथ
फिर भी इक जिन्दा रहा बिना हाथ मे हाथ

समय समय का फेर है, जब भी बदली चाल
कल के धन्ना सेठ भी, आज हुए कंगाल

बडे लोग की बात है, मत कर इतना आस
अपनी बाहों सदा 'आनन' रख विश्वास

राहों में काँटे पड़े, कभी न बोले शूल
लेकिन खुशबू बोलती, किधर खिले हैं फूल

जो भी तेरा धर्म हो, जो भी तेरी सोच
मानवता के काज में, मत कर तू संकोच

शनिवार, 13 अप्रैल 2024

दोहे 18

[ इन दोहों में सुधार अपेक्षित है--कॄपया प्रतीक्षा करें ---] 
दोहे 18

राजनीति में मुख नहीं मुखौटा पहचान
”कट आउट’ होने लगी नेता जी की शान

नेता जी दो मुख रखे राजनीति में हिट
एक जॊभ मिसरी घुली एक जीभ में विष

निर्धारित हैं कर दिए नेता जी ने लक्ष्य
एक बार कुर्सी मिले जितना चाहे भक्ष

बौने कद वाले हुए राजनीतिक स्तम्भ
बिना विचार वाले हुए अपने दल के खम्ब

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

दोहे 17 : चुनावी दोहे

 इन दोहों में सुधार

[  अपेक्षित है--कॄपया प्रतीक्षा करें --]
दोहे 17

साईं इतना दीजिए दस पीढ़ी खा पाय
मै तो भूखा ना रहूँ देश भले मर जाय

लालटेन ले ढूंढते गली गली में वोट
अपने दल को छोड़ कर सभी दलों में खोट

घोटाले की नाव में, सत्ता की पतवार
कोर्ट कचहरी क्या करे, कर ले नदिया पार

राजनीति के खेल में क्या अधर्म क्या धर्म
नेता सफलीभूत वही कर ले सभी कुकर्म

एक श्वास में फूँक दे हवा ठंड औ' गर्म
असली नेता है वही जो समझे यह मर्म

-आनन्द.पाठक-